बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात
तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
मैंने उसको इतना देखा जितना देखा जा सकता था
लेकिन फिर भी दो आँखों से कितना देखा जा सकता था
कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है
फिर सारे का सारा कैसे हो सकता है
तुझसे जब मिलकर भी उदासी कम नहीं होती
तेरे बग़ैर गुज़ारा कैसे हो सकता है
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